इसीलिए मुंह ढक कर आए शहर पर गर्व करने वाले। इसीलिए मुंह ढक कर आए शहर पर गर्व करने वाले।
गांव की गलियों में नित घूमता मन, दम घोंटू शहरी जिंदगी से अब हुई अनबन। गांव की गलियों में नित घूमता मन, दम घोंटू शहरी जिंदगी से अब हुई अनबन।
निर्धनता में देखिए, रंग गुलाल विहीन। फिर भी होली गाँव की, होती है रंगीन।। निर्धनता में देखिए, रंग गुलाल विहीन। फिर भी होली गाँव की, होती है रंगीन।।
पापा जी ये गांव कैसा होता है, बता दो, बड़ा उत्सुक हूं, हो सके तो ले जाकर दिखा दो। पापा जी ये गांव कैसा होता है, बता दो, बड़ा उत्सुक हूं, हो सके तो ले जाकर दिख...
कहां गई खेत की कचरिया। दिखावें न गांव की डगरिया। कहां गई खेत की कचरिया। दिखावें न गांव की डगरिया।
आंतरिक एकता का विश्वास हूँ हाँ मैं हिंदी भाषा हूँ जो तेरा अहसास हूँ। आंतरिक एकता का विश्वास हूँ हाँ मैं हिंदी भाषा हूँ जो तेरा अहसास हूँ।